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लोकतंत्र की पहचान….और वर्तमान चुनाव

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इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायने में ख़ास है, एक तो मतदाताओं के सोचने समझने में काफी बदलाव आया है तो दूसरी और राजनेताओं को भी इस बार कड़ी मशक्कत करनी पड रही है….हर तरफ बदलाव की बयार बह रही है…..अब जात पात ,साम्प्रदायिकता ये सारे मुद्दे गौण हो गए हैं , भ्रष्टाचार ..महंगाई ..बेरोजगारी ये प्रमुख मुद्दे हैं…और किसी भी राजनीतिक पार्टी के सत्ता में आने पर जनता की अपेक्षाओं पर खड़ा उतरना बहुत कठिन है …इस बार के चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका बहुत अहम् दिखी ..जनता को आयोग पर पूरा विश्वास है….मतदान का बढ़ता प्रतिशत ..औरतों और युवाओं की भागीदारी यह दर्शाती है की सच में इस बार बदलाव की बयार बह रही है…आने वाले अगले चुनाव में देश की दशा और दिशा बदलने के पूरे आसार हैं …इस बार राजनेताओं को भी वोट मांगने के लिए जनता के आगे गिरगिराना पड रहा है…और जनता सुन सबकी रही मगर कर रही है अपने मन की …इस बार किसी के बहकावे में नहीं आ रही …..मतलब जनता समझदार हो गयी है …जनतंत्र की सही परिभाषा अब सार्थक होती दिख रही है ….परिणाम आने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं मगर इस बार जनता परिणाम से संतुष्ट होगी …की इस बार यदि गलती हुई है ..तो अगली बार और सुधार होगा और ज्यादा से ज्यादा लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर एक मजबूत और अछी सरकार का गठन करने में कामयाब हो सकेंगे..तभी सबकुछ बदलेगा….

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